Get the "Nukta Cheen Hai Gham-E-Dil Full Gazal Lyrics":
क्या बने बात - मिर्ज़ा ग़ालिब ग़ज़ल
नुक़्ताचीन है, ग़म-ऐ-दिल उसको सुनाये न बने
क्या बने बात, जहाँ बात बनाये ना बने
मै बुलाता तो हूँ उस को, मगर ऐ-जज़्बा-ऐ-दिल
उस पे बन जाये ऐसी, के बिन आये न बने
खेल समझा है, कहीं छोड़ दे, भूल न जाये
काश! यूँ भी हो के बिन मेरे सताए बने
ग़ैर फिरता है यूँ तेरे ख़त को कह अगर
कोई पूछे कि ये क्या है, तो छुपाये ना बने
इस नजाकत का बुरा हो, वो भले हैं, तो क्या
हाथ आएं, तो उन्हें हाथ लगाए बने
कह सकेगा कौन, ये जलवा गारी किस की
पर्दा छोड़ा है उसने के उठाये न बने
मौत की रह न देखूं ? के बिन आये न रहे
तुम को चाहूँ ? कि न आओ, तो बुलाये न बने
इश्क़ पर जोर नहीं, है ये वो आतिश ग़ालिब
के लगाए न लगे, और बुझाये न बने
तुम को चाहूँ ? कि न आओ, तो बुलाये न बने
इश्क़ पर जोर नहीं, है ये वो आतिश ग़ालिब
के लगाए न लगे, और बुझाये न बने
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