इस कदर प्यार की बारिश हो कि जल-थल हो जाऊ:-
इस कदर प्यार की बारिश हो कि जल-थल हो जाऊ
तुम घटा बनके चली आओ मै बदल हो जाऊं
घर में बैठा हूँ, चमकते हुए सोने की तरह
मैं जो सर्राफे में आ जाऊ तो पीतल हो जाऊँ
ढूंढ़ते-ढूंढ़ते एक उम्र गुज़ारी जिसको
वो अगर सामने आ जाये तो पागल हो जाऊ
मुन्तज़िर चाक पे है मेरी अधूरी मिट्टी
तुम जरा हाथ लगा दो तो मुकम्मल हो जाऊ
मेरे सन्नाटो ने आबाद रखा मुझको
मैं तेरे शहर में आ जाऊँ तो जंगल हो जाऊं
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