कैसी चली अब के हवा तेरे शहर में - Gulam Ali Gazal - Sad Poetry in Urdu

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Friday, October 23, 2020

कैसी चली अब के हवा तेरे शहर में - Gulam Ali Gazal

कैसी चली अब के हवा तेरे शहर में :-



gulam ali gazal



कैसी चली अब के हवा तेरे शहर में 
बन्दे भी हो गए हैं ख़ुदा तेरे शहर में 


क्या जाने क्या हुआ परेशा हो गए 
इक लहजा रुक गयी थी सबा तेरे शहर में 


कुछ दुश्मनी का ढब है, न अब दोस्ती के तौर 
दोनों का एक रंग हुआ तेरे शहर में 


शायद उन्हें पता था की खातिर है अज़नबी 
लोगों ने उसे लूट लिया तेरे शहर में | 

- गुलाम अली 


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