Dilo me Aag Labon Pe Gulab Rakhte Hain-Rahat Indori - Sad Poetry in Urdu

Sad Poetry in Urdu

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Friday, October 4, 2019

Dilo me Aag Labon Pe Gulab Rakhte Hain-Rahat Indori

दिलों में आग लबों पर गुलाब रखते हैं :-


दिलों में आग लबों पर गुलाब रखते हैं
सब अपने चेहरों पे दोहरी नका़ब रखते हैं

हमें चराग समझ कर बुझा न पाओगे
हम अपने घर में कई आफ़ताब रखते हैं

बहुत से लोग कि जो हर्फ़-आश्ना भी नहीं
इसी में खुश हैं कि तेरी किताब रखते हैं

ये मैकदा है, वो मस्जिद है, वो है बुत-खाना
कहीं भी जाओ फ़रिश्ते हिसाब रखते हैं

हमारे शहर के मंजर न देख पायेंगे
यहाँ के लोग तो आँखों में ख्वाब रखते हैं...







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Mirza Galib: https://themotivationaladda.blogspot.com/search/label/Mirza%20Galib

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